
क्या पहले की तुलना में कामकाज क्या के प्रति संघ कम होती जा रही है, नींद बाधित रहती है, खालीपन या असहाय महसूस करते हैं? यदि हां, तो इन लक्षणों की अनदेखी न करें। हालांकि यह जानना जरूरी है कि ऐसा महसूस करने वाले आप अकेले नहीं हैं।
यह मनोदशा आज ज्यादातर लोगों की है और इसके कुछ ठोस कारण होते हैं। इन कारणों का उचित निदान किया जाए तो समय रहते अवसाद के गंभीर लक्षणों को उभरने से रोका जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि अवसाद सामान्य मनोदशा में होने वाले उतार-चढ़ाव से अलग होता है। ये लक्षण सामान्यतः दो हफ्ते से अधिक समय तक रहते हैं और यदि उचित उपचार न किया जाए तो यह स्वयं को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या की कगार पर पहुंचाने का जोखिम पैदा कर सकते हैं।
एक जटिलता है, बीमारी नहीं
यदि आप बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं तो यह जानना जरूरी है कि जिन्हें अवसाद नहीं होता, वे भी खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के कदम उठा सकते हैं। मैं मजबूत हूं या अमुक व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता, यह न सोचें। दरअसल, किसी एक कारण से आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने का सीधा संबंध नहीं होता। इसके कई कारण हो सकते हैं। सामाजिक, आर्थिक या सेहत से जुड़ी परेशानी के साथ – साथ रिश्तों में हो रही समस्याओं के कारण भी लोग ऐसा कदम उठा सकते हैं।