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दिल्ली में बढ़ रहे हैं मलेरिया के मामले , डॉक्टर ने बताया क्या है बचाव का सही तरीका

हाल के दिनों में दिल्ली और आसपास के इलाकों में मलेरिया संक्रमण के मामले अधिक देखने में आ रहे हैं। महानगरीय क्षेत्रों में जलभराव से मच्छरों से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों से कहीं अधिक गंदगी शहरों में देखने को मिलती है। खासकर स्लम क्षेत्रों के बढ़ते प्रसार के कारण मलेरिया के मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। हालांकि, बीते कुछ दशकों से साफ-सफाई के प्रति बढ़ती जागरूकता और मलेरियारोधी दवाओं के कारण मलेरिया संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर में काफी कमी आई है।

फिर भी, दक्षिण एशियाई देशों में मलेरिया के कारण मृत्यु दर बहुत अधिक है। मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, इसलिए उचित होगा इसे हल्के में न लें और मच्छरों से होने वाले इस संक्रमण को लेकर पर्याप्त सजगता बरतें।

कब होता है खतरनाक?
मलेरिया का संक्रमण परजीवी मच्छर के कारण होता है। ध्यान रहे यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता । यह तब अधिक खतरनाक होता है, जब मच्छरों के प्रकोप से बचाव को लेकर सजग नहीं रहते। यदि इसके लक्षण हल्के हैं तो सामान्य इलाज से संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है।

बुखार कितना गंभीर
मलेरिया आम बुखार की तरह नहीं है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों जैसे बुजुर्ग, मधुमेह या हाइपरटेंशन के रोगी, बच्चों या गर्भवती को मलेरिया बुखार से गंभीर परेशानी हो सकती है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों, एचआइवी से पीड़ितों में अधिक खतरा होता है। बच्चों को मलेरिया हो जाए तो मस्तिष्क ज्वर का जोखिम रहता है। मलेरिया के संक्रमण से बच्चों के लिवर और स्प्लीन बढ़ने का जोखिम होता है।

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