
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आरोप लगाया है कि भाजपा राज्य में महायुति की अपनी सहयोगी पार्टियों शिवसेना और एनसीपी को दबाव में लेने के लिए उन क्षेत्रों से पूर्व कांग्रेस नेताओं को पार्टी में शामिल कर रही है। जहां विधानसभा चुनावों में शिवसेना और एनसीपी के विधायक विजयी हुए थे।
सपकाल ने कहा कि हाल के महीनों में पार्टी छोड़ने वाले नेताओं ने डर और लालच के कारण ऐसा किया, लेकिन कांग्रेस स्पष्टता और आक्रामकता के साथ अपनी विचारधारा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 2024 विधानसभा चुनाव में सिर्फ 16 सीटें जीतने के बाद से कांग्रेस लगातार दलबदल का सामना कर रही है।
सपकाल ने कहा, जो पूर्व कांग्रेसी विधायक पार्टी छोड़ गए हैं। वे कई वर्षों तक विधायक रहे, लेकिन अब वे रुकने को तैयार नहीं हैं। हमारे पास उन क्षेत्रों में संगठन को पुनर्गठित करने के लिए पर्याप्त समय है। बुलढाणा से विधायक सपकाल ने कहा कि जो नेता पार्टी छोड़ गए वे सत्ता-लोभी थे और कांग्रेस ने उन पर अपने दरवाजे बंद करने का फैसला कर लिया है।
उनका दावा है कि भाजपा जानबूझकर उन विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस नेताओं को शामिल कर रही है जहां पिछले चुनाव में शिवसेना या एनसीपी के उम्मीदवार जीते थे, ताकि अपने सहयोगियों पर दबाव बना सके। उन्होंने बताया कि जिन नेताओं ने हाल ही में कांग्रेस छोड़ी। उनमें से कुणाल पाटिल धुले ग्रामीण में भाजपा उम्मीदवार से हारे थे। जबकि राकांपा उम्मीदवारों ने परभणी जिले के पाथरी निर्वाचन क्षेत्र में सुरेश वारपुडकर और खडकवासला में संजय जगताप को हराया और जालना में कैलाश गोरंट्याल शिवसेना से हार गए। उन्होंने कहा कि भोर के पूर्व विधायक संग्राम थोपटे, जो भाजपा में शामिल हुए थे। वह भी राकांपा उम्मीदवार से हार गए थे।
सपकाल ने कहा, ऐसा लग रहा है कि भाजपा महायुति गठबंधन के अंदर ही खेल खेल रही है। वे रेडी-मेड नेता ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस छोड़ने वाले पूर्व विधायकों ने इस फैसले के लिए निजी कारणों को जिम्मेदार ठहराया है।
सपकाल ने कहा, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, क्योंकि वे पहले से ही हमारे संभावित दलबदलुओं की सूची में थे। इन नेताओं के पार्टी छोड़ने से संगठन को मजबूत बनाने और उसे महत्वपूर्ण स्थानीय निकाय चुनावों के लिए तैयार करने के हमारे उद्देश्य पर कोई असर नहीं पड़ा है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब भाजपा खुद को एक करोड़ कार्यकर्ताओं वाली सबसे बड़ी पार्टी बताती है तो उसे दूसरी पार्टियों के नेताओं को क्यों लेना पड़ रहा है? सपकाल ने तंज कसते हुए कहा, भाजपा अपने नेताओं को सक्षम क्यों नहीं बना पा रही? इसका मतलब है कि वह कमजोर दल है और अन्य पार्टियों को खत्म करके अपना विस्तार करना चाहती है। ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ बनाने की जगह बीजेपी ने खुद को ‘कांग्रेस-युक्त’ पार्टी बना लिया है।