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अमेरिका को ही भारी पड़ रही ट्रंप की पॉलिसी, US जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 70% गिरी

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद से ही अमेरिका में इमीग्रेशन और वीजा को लेकर नियम सख्त कर दिए गए हैं। अमेरिका जाने की चाहत रखने वाले कई छात्रों का वीजा रद किया जा रहा है और इससे भारतीय छात्रों में चिंता और आश्चर्य दोनों बढ़ गया है।

पिछले साल भारत से 3.3 लाख से अधिक छात्र अमेरिका गए थे। लेकिन अब इस आंकड़े में बड़ा ड्रॉप देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 70 से 80 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह वीजा अपॉइंटमेंट स्लॉट की रोक और वीजा रिजेक्शन है।

अब तक की सबसे खराब स्थिति
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, हैदराबाद ओवरसीज़ कंसल्टेंट के संजीव राय ने बताया कि यह बीते वर्षों में सबसे खराब स्थिति है। छात्र हर दिन स्लॉट खुलने की उम्मीद में पोर्टल को रिफ्रेश कर रहे हैं। आम तौर पर इस समय तक वीजा इंटरव्यू पूरा कर छात्र रवानगी की तैयारी में लगे होते हैं।

अमेरिकी दूतावास की तरफ से वीजा के लिए अपॉइंटमेंट और प्रक्रिया में आ रही दिक्कतों को देखते हुए कई छात्र दूसरे देशों का भी रुख कर रहे हैं। विंडो ओवरसीज़ एजुकेशन कंसल्टेंसी के अंकित जैन ने बताया कि कई छात्र ऐसे भी हैं, जिन्होंने स्लॉट तो बुक कर लिया है, लेकिन उन्हें कन्फर्मेशन नहीं मिला है।

कई छात्रों के वीजा रिजेक्ट
आई20 फीवर कंसल्टेंसी के अरविंद मंडुवा के मुताबिक, इस साल छात्रों के अमेरिका जाने के आंकड़ों में 80 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। कई छात्र ऐसे भी हैं, जिन्होंने वीजा इंटरव्यू के प्रक्रिया पूरी भी कर ली थी, लेकिन अब उन्हें रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादातर लोगों को इसके पीछे 214B की वजह बताई जा रही है।

बता दें कि यूएस इमीग्रेशन और नेशनलिटी एक्ट की धारा 214(b) वीजा को रिजेक्ट किए जाने का एक सामान्य कारण है। वीजा रिजेक्शन के लिए इसे आधार तब बनाया जाता है, जब आवेदक यह साबित नहीं कर पाता कि वह यात्रा के बाद अपने देश लौट आएगा। हैदराबाद स्थित अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने कहा है कि आवेदकों की जांच जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनका अमेरिका या हमारे हितों को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं है।

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